योग के विभिन्‍न प्रकार के बारे में जानें


  • योगा से आपका शरीर निरोग व स्वस्थ रहता है।

  • नियमित योगा करने से आपका चित्त प्रसन्न रहता है।
  • सर्वांगासन से सभी अंगो का व्यायाम होता है।
  • पद्मासन से रक्त संचार में तेजी आती है।
योग एक प्राचीन भारतीय जीवन-पद्धति है, जिसमें योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। तीनों के स्वस्थ रहने से आप स्‍वयं को स्वस्थ महसूस करते हैं। योगा से आपका शरीर निरोग व स्वस्थ रहता है। योगा से आपके शरीर को तो आराम मिलता ही है, साथ ही दिमागी सुकून भी मिलता है। नियमित योगा करने से आपका चित्त प्रसन्न रहता है और काम के चलते होने वाला चिड़चिड़ापन दूर होता है। आइए इस आर्टिकल के माध्‍यम से योग के विभिन्‍न प्रकार के बारे में जानकारी लेते हैं!

yoga in hindi

योगा के प्रकार

शीर्षासन : सिर के बल किए जाने की वजह से इसे शीर्षासन कहते हैं। इससे पाचनतंत्र ठीक रहता है साथ ही मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे की स्मरण शक्ति सही रहती है।

सूर्य नमस्कार : सूर्य नमस्कार करने से शरीर निरोग और स्वस्थ होता है। सूर्य नमस्कार की दो स्थितियां होती हैं- पहले दाएं पैर से और दूसरा बाएं पैर से।

कटिचक्रासन : कटि का अर्थ कमर अर्थात कमर का चक्रासन। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। इससे कमर, पेट, कूल्हे को स्वस्थ रखता है। इससे कमर की चर्बी कम होती है।

पादहस्तासन : इस आसन में हम अपने दोनों हाथों से अपने पैर के अंगूठे को पकड़ते हैं, पैर के टखने भी पकड़े जाते हैं। चूंकि हाथों से पैरों को पकड़कर यह आसन किया जाता है इसलिए इसे पादहस्तासन कहा जाता है। यह आसन खड़े होकर किया जाता है।

ताड़ासन : इससे शरीर की स्थिति ताड़ के पेड़ के समान रहती है, इसीलिए इसे ताड़ासन कहते हैं। यह आसन खड़े होकर किया जाता है। इस आसन को नियमित करने से पैरों में मजबूती आती है।

विपरीत नौकासन : नौकासन पीठ के बल लेटकर किया जाता है, इसमें शरीर का आकार नौका के समान प्रतीत होती है। इससे मेरुदंड को शक्ति मिलती है। यौन रोग व दुर्बलता दूर करता है। इससे पेट व कमर का मोटापा दूर होता है।

हलासन : हलासन में शरीर का आकार हल जैसा बनता है, इसीलिए इसे हलासन कहते हैं। इस आसन को पीठ के बल लेटकर किया जाता है। हलासन हमारे शरीर को लचीला बनाने के लिए महत्वपूर्ण है।

सर्वांगासन : इस आसन में सभी अंगो का व्यायाम होता है, इसीलिए इसे सर्वांगासन कहते हैं। इस आसन को पीठ के बल लेटकर किया जाता है। इससे दमा, मोटापा, दुर्बलता एवं थकानादि विकार दूर होते है।

शवासन : शवासन में शरीर को मुर्दे समान बना लेने के कारण ही इस आसन को शवासन कहा जाता है। यह पीठ के बल लेटकर किया जाता है और इससे शारीरिक तथा मानसिक शांति मिलती है।

मयूरासन : इस आसन को करते समय शरीर की आकृति मोर की तरह दिखाई देती है, इसलिए इसका नाम मयूरासन है। इस आसन को बैठकर सावधानी पूर्वक किया जाता है। इस आसन से वक्षस्थल, फेफड़े, पसलियाँ और प्लीहा को शक्ति प्राप्त होती है।

पश्चिमोत्तनासन : इस आसन को पीठ के बल किया जाता है। इससे पीठ में खिंचाव होता है, इसीलिए इसे पश्चिमोत्तनासन कहते हैं। इस आसन से शरीर की सभी मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है। जिससे उदर, छाती और मेरुदंड की कसरत होती है।

वक्रासन : वक्रासन बैठकर किया जाता है। इस आसन को करने से मेरुदंड सीधा होता है। इस आसन के अभ्यास से लीवर, किडनी स्वस्थ रहते हैं।

मत्स्यासन : इस आसन में शरीर का आकार मछली जैसा बनता है, इसलिए यह मत्स्यासन कहलाता है। यह आसन से आंखों की रोशनी बढ़ती है और गला साफ रहता है।

सुप्त-वज्रासन : यह आसन वज्रासन की स्थिति में सोए हुए किया जाता है। इस आसन में पीठ के बल लेटना पड़ता है, इसिलिए इस आसन को सुप्त-वज्रासन कहते है, जबकि वज्रासन बैठकर किया जाता है। इससे घुटने, वक्षस्थल और मेरुदंड को आराम मिलता है।

वज्रासन : वज्रासन से जाघें मजबूत होती है। शरीर में रक्त संचार बढ़ता है। पाचन क्रिया के लिए यह बहुत लाभदायक है। खाना खाने के बाद इसी आसन में कुछ देर बैठना चाहिए।

पद्मासन : इस आसन से रक्त संचार तेजी से होता है और उसमें शुद्धता आती है। यह तनाव हटाकर चित्त को एकाग्र कर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

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